हैदराबाद / नई दिल्ली: हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष ने करीब 8 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।...
हैदराबाद / नई दिल्ली:
हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष ने करीब 8 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आदेश जारी किया है कि —
“अब कोई भी कंपनी अपने खाने या पीने के
उत्पाद पर ‘ORS’ (Oral
Rehydration Solution) शब्द का उपयोग तब तक नहीं कर सकती, जब तक वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप न हो।”
यह फैसला उन
उत्पादों पर रोक लगाने के लिए लिया गया है जो मीठे ड्रिंक या फ्लेवर्ड बेवरेज बनाकर उन्हें ‘ORS’ के नाम से बेच रहे थे, जिससे लोगों — विशेषकर बच्चों — की सेहत को नुकसान हो रहा था।
⚖️ नया नियम क्या कहता है
FSSAI के नए निर्देशों के अनुसार —
“‘ORS’ शब्द का उपयोग केवल उन्हीं उत्पादों पर
किया जा सकेगा जो WHO द्वारा निर्धारित फार्मूला के अनुसार
बनाए गए हों।”
इसका मतलब यह है
कि अब कोई भी कंपनी अगर अपने प्रोडक्ट पर “ORS” लिखना चाहती है, तो उसे पहले WHO की मंजूरी और FSSAI की अनुमति दोनों लेनी होंगी।
👩⚕️ डॉ. शिवरंजनी की कहानी
डॉ. शिवरंजनी
संतोष ने यह अभियान 2017 में शुरू किया था, जब उन्होंने देखा कि कई कंपनियाँ मीठे और
रंगीन पेय को ‘ORS’ बताकर बेच रही हैं और माता-पिता यह सोचकर
बच्चों को पिला रहे हैं कि यह असली ORS है।
उन्होंने लगातार FSSAI और WHO को पत्र लिखे, मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाई, और बच्चों की सेहत को लेकर आवाज़ उठाई।
लगातार 8 साल की कोशिशों के बाद आखिरकार 2025 में उनकी मेहनत रंग लाई, और FSSAI ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर
दिया।
“यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है — यह हर उस बच्चे और हर उस माता-पिता की
जीत है जो असली ORS का अधिकार रखते हैं।”
— डॉ. शिवरंजनी
संतोष
🌍 क्यों है यह फैसला ज़रूरी
असली ORS (Oral Rehydration Solution) एक जीवन रक्षक फार्मूला है, जिसे WHO ने डिहाइड्रेशन और
दस्त जैसे रोगों के उपचार के लिए मान्यता दी है।
मीठे पेय पदार्थों
को ORS बताकर बेचने से लोगों में भ्रम पैदा हो
रहा था और असली दवाओं पर से भरोसा उठ सकता था।
स्वास्थ्य
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से:
- बच्चों को मीठे ड्रिंक्स के नुकसान से बचाया
जा सकेगा
- भ्रामक विज्ञापन और झूठे दावे रुकेंगे
- और जनता का भरोसा असली ORS पर दोबारा मजबूत होगा
🙏 एक मिसाल साहस और धैर्य की
डॉ. शिवरंजनी की
यह जीत सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं, बल्कि समाज और बच्चों की सेहत के लिए प्रेरणा है।
उनके साहस और
दृढ़ता ने यह साबित कर दिया कि एक व्यक्ति की जागरूकता भी पूरे सिस्टम में बदलाव ला सकती है।
सोशल मीडिया पर
लोग उन्हें “Health
Warrior” और “Children’s Hero” कहकर सम्मानित कर रहे हैं।
🏛️ सारांश
🔹 अब ‘ORS’ लेबल का उपयोग केवल WHO द्वारा अनुमोदित फार्मूलों पर ही किया जा सकेगा।
🔹 मीठे पेय और
एनर्जी ड्रिंक कंपनियाँ ‘ORS’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकेंगी।
🔹 सभी उत्पादों को
पहले FSSAI और WHO की स्वीकृति लेनी होगी।
यह फैसला भारत में स्वास्थ्य सुरक्षा और जनहित की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है — और यह संभव हुआ एक डॉक्टर की अटूट
प्रतिबद्धता के कारण।