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भारत में पैरा स्पोर्ट्स: चुनौतियाँ, प्रगति और भविष्य

भारत में पैरा स्पोर्ट्स का इतिहास संघर्षों और उपलब्धियों से भरा हुआ है। पिछले कुछ दशकों में भारतीय पैरा-एथलीट्स ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्र...

भारत में पैरा स्पोर्ट्स का इतिहास संघर्षों और उपलब्धियों से भरा हुआ है। पिछले कुछ दशकों में भारतीय पैरा-एथलीट्स ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। हालांकि, अभी भी इस क्षेत्र में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।


भारत में पैरा स्पोर्ट्स का विकास

भारत में पैरा स्पोर्ट्स की शुरुआत 20वीं सदी के अंत में हुई, लेकिन यह पिछले दो दशकों में तेजी से आगे बढ़ा है। भारतीय पैरा-एथलीट्स ने पैरालंपिक्स, एशियाई पैरा गेम्स और वर्ल्ड पैरा चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया है।

  • प्रमुख उपलब्धियाँ:
    • 2016 रियो पैरालंपिक्स – भारत ने 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य पदक जीते।
    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स – भारत ने 5 स्वर्ण सहित कुल 19 पदक जीते, जो देश के लिए ऐतिहासिक रहा।
    • एशियाई पैरा गेम्स 2023 – भारत ने 100 से अधिक पदक जीते।

चुनौतियाँ और समस्याएँ

  1. बुनियादी सुविधाओं की कमी – देश में पैरा खिलाड़ियों के लिए समर्पित खेल सुविधाओं और संसाधनों की भारी कमी है।
  2. कोचिंग और प्रशिक्षण – विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की संख्या सीमित है, जिससे खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिलने में कठिनाई होती है।
  3. आर्थिक सहयोग की कमी – सामान्य एथलीट्स की तुलना में पैरा खिलाड़ियों को कम प्रायोजन और वित्तीय सहायता मिलती है।
  4. सोशल स्टिग्मा – समाज में दिव्यांग खिलाड़ियों को खेलों में सीमित माना जाता है, जिससे उन्हें अवसर पाने के लिए अतिरिक्त संघर्ष करना पड़ता है।

सरकार और संगठनों की भूमिका

भारत सरकार और विभिन्न खेल संगठनों ने पैरा स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

  • "टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS)" के तहत पैरा-एथलीट्स को वित्तीय सहायता और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • "खेलो इंडिया योजना" में पैरा खिलाड़ियों को शामिल किया गया है ताकि नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।
  • भारतीय पैरालंपिक समिति (PCI) और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) पैरा स्पोर्ट्स के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत में पैरा स्पोर्ट्स का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। नई खेल नीतियाँ, बढ़ता सरकारी सहयोग और समाज में बढ़ती जागरूकता के कारण आने वाले वर्षों में भारत पैरा खेलों में एक वैश्विक शक्ति बन सकता है।

यदि सही संसाधन और अवसर दिए जाएँ, तो भारतीय पैरा-एथलीट्स न केवल और अधिक पदक जीत सकते हैं, बल्कि दिव्यांगता को लेकर समाज की मानसिकता भी बदल सकते हैं।


निष्कर्ष

भारत में पैरा स्पोर्ट्स धीरे-धीरे मुख्यधारा का हिस्सा बन रहा है। हालाँकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन सरकार, खेल संघों और समाज के सहयोग से इन्हें दूर किया जा सकता है। सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो भारतीय पैरा-एथलीट्स आने वाले वर्षों में नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।