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भारत में पैरा खिलाड़ियों की प्रमुख उपलब्धियाँ और विकास की रफ़्तार

भारत में खेलों का एक समृद्ध इतिहास रहा है, और पिछले कुछ दशकों में पैरा एथलीट्स ने देश को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है। शारीरिक चुनौतिय...

भारत में खेलों का एक समृद्ध इतिहास रहा है, और पिछले कुछ दशकों में पैरा एथलीट्स ने देश को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है। शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय पैरा एथलीट्स ने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प और असाधारण कौशल से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है।

पैरा एथलीट्स की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

भारत ने 1968 के पैरालंपिक खेलों में पहली बार भाग लिया था, लेकिन 1972 में मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ़्रीस्टाइल तैराकी में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इसके बाद से भारतीय पैरा एथलीट्स ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

प्रमुख पैरा एथलीट्स और उनकी उपलब्धियाँ

  1. देवेंद्र झाझरिया

    • 2004 और 2016 पैरालंपिक्स में स्वर्ण पदक विजेता (भाला फेंक)
    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में रजत पदक विजेता
  2. मरियप्पन थंगावेलु

    • 2016 रियो पैरालंपिक्स में स्वर्ण पदक (उँची कूद)
    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में रजत पदक
  3. सुमित अंतिल

    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में भाला फेंक (F64 श्रेणी) में स्वर्ण पदक
    • विश्व रिकॉर्ड धारक
  4. अवनि लेखरा

    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
    • रजत और कांस्य पदक भी जीते
  5. प्रमोद भगत

    • 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में बैडमिंटन में स्वर्ण पदक

भारत में पैरा स्पोर्ट्स का विकास

सरकार और विभिन्न खेल संगठनों ने पैरा एथलीट्स को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे:

  • टॉप्स (टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) – उच्च स्तरीय प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता
  • पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया – पैरा खिलाड़ियों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन
  • खेलो इंडिया योजना – युवा पैरा एथलीट्स को प्रोत्साहित करना

भारत ने पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक जीते, जिसमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक शामिल हैं। यह प्रदर्शन टोक्यो 2020 के 19 पदकों से बेहतर है, जो भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ पैरालंपिक प्रदर्शन है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • अवनि लेखरा: महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 शूटिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर, अवनि लेखरा पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ अपने खिताब का सफल बचाव किया।

  • धरमबीर और प्रणव सूरमा: पुरुषों की क्लब थ्रो F51 स्पर्धा में, धरमबीर ने 34.92 मीटर के एशियाई रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि प्रणव सूरमा ने रजत पदक हासिल किया। यह पहली बार था जब भारत ने एथलेटिक्स में पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया।

  • सुमित अंतिल: पुरुषों की भाला फेंक F64 स्पर्धा में, सुमित अंतिल ने 70.59 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, जो एक नया पैरालंपिक रिकॉर्ड है। उन्होंने अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तीन बार तोड़ा और पैरालंपिक में अपना खिताब बचाने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने।

  • मरियप्पन थंगावेलु: पुरुष ऊंची कूद T63 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर, मरियप्पन थंगावेलु लगातार तीन पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने रियो 2016 में स्वर्ण और टोक्यो 2020 में रजत पदक जीता था।

  • हरविंदर सिंह: तीरंदाजी में, हरविंदर सिंह ने पुरुष व्यक्तिगत रिकर्व ओपन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को इस खेल में पहला पैरालंपिक स्वर्ण दिलाया।

  • प्रीति पाल: महिलाओं की 100 मीटर T35 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर, प्रीति पाल ने ट्रैक इवेंट में भारत का पहला पैरालंपिक पदक सुनिश्चित किया।

निष्कर्ष

भारतीय पैरा एथलीट्स ने अपने असाधारण प्रदर्शन से न केवल खेल जगत में भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि आत्मविश्वास और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। इनकी सफलता देश के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है और भविष्य में भारत को और भी अधिक गौरव दिलाने के लिए प्रेरित करती है।