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भारत में भुखमरी: एक गंभीर समस्या

भुखमरी (Hunger) एक वैश्विक समस्या है, लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में यह अधिक गंभीर रूप से देखी जाती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब कि...

भुखमरी (Hunger) एक वैश्विक समस्या है, लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में यह अधिक गंभीर रूप से देखी जाती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति को नियमित रूप से पर्याप्त भोजन और पोषण नहीं मिलता। भुखमरी का प्रभाव केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह सामाजिक असमानता, आर्थिक विकास और शैक्षिक अवसरों को भी प्रभावित करता है।


भारत में भुखमरी की स्थिति

1. वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत की रैंकिंग

भारत में भुखमरी की स्थिति को समझने के लिए वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index - GHI) महत्वपूर्ण मानक है। 2024 में, भारत की रैंकिंग 127 देशों में से 105वें स्थान पर थी, जो दर्शाता है कि यह समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है।

2. भुखमरी के कारण

भारत में भुखमरी के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

(1) गरीबी और आर्थिक असमानता

भारत में एक बड़ी आबादी अब भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। गरीब तबके के पास पर्याप्त आय नहीं होती जिससे वे पौष्टिक भोजन खरीद सकें।

(2) खाद्य वितरण की असमानता

देश में खाद्य उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है, लेकिन वितरण प्रणाली में खामियों के कारण गरीबों तक यह भोजन नहीं पहुँच पाता। सरकारी योजनाओं के बावजूद, कई बार भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण गरीबों को खाद्य सामग्री नहीं मिल पाती।

(3) बेरोजगारी

बेरोजगारी के कारण लोगों की आमदनी सीमित होती है, जिससे वे आवश्यक खाद्य पदार्थ नहीं खरीद सकते। खासकर महामारी के बाद बेरोजगारी में वृद्धि हुई, जिससे भुखमरी की समस्या और बढ़ गई।

(4) प्राकृतिक आपदाएँ

भारत में अक्सर सूखा, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आती रहती हैं, जिससे कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे खाद्य संकट उत्पन्न होता है और गरीब किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

(5) शिक्षा और जागरूकता की कमी

अशिक्षा के कारण कई लोग पौष्टिक भोजन और संतुलित आहार के महत्व को नहीं समझते। इसके अलावा, कुपोषण और भुखमरी से संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी भी कई लोगों तक नहीं पहुँचती।


भारत में भुखमरी की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयास

भारत सरकार ने भुखमरी को कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

इस अधिनियम के तहत गरीब परिवारों को सब्सिडी वाले दरों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। इसके अंतर्गत:

  • प्राथमिकता वाले परिवारों को ₹2-3 प्रति किलो की दर पर चावल और गेहूं मिलता है।
  • अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत अत्यंत गरीब परिवारों को 35 किलोग्राम अनाज प्रति माह दिया जाता है।

2. मिड-डे मील योजना

यह योजना सरकारी स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए चलाई जाती है, जिससे न केवल भुखमरी कम होती है, बल्कि स्कूल ड्रॉपआउट दर भी घटती है।

3. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)

कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित करने के लिए यह योजना चलाई गई, जिसमें करोड़ों लोगों को लाभ मिला।

4. एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना (ONORC)

इस योजना के तहत प्रवासी मजदूर देश के किसी भी हिस्से में अपने राशन कार्ड का उपयोग करके सस्ते दरों पर अनाज प्राप्त कर सकते हैं।


भुखमरी के प्रभाव

1. स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • कुपोषण: भुखमरी के कारण लोग कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है।
  • बीमारियाँ: कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण भुखमरी से ग्रस्त लोग विभिन्न संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

2. समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • बाल श्रम में वृद्धि: कई गरीब परिवार बच्चों को काम पर भेज देते हैं ताकि वे खाने का खर्च उठा सकें।
  • अपराध दर में वृद्धि: जब लोगों के पास भोजन नहीं होता, तो वे अपराध की ओर मुड़ सकते हैं।
  • शिक्षा में बाधा: भूखे रहने के कारण बच्चों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता और वे स्कूल छोड़ देते हैं।

भुखमरी को खत्म करने के लिए संभावित समाधान

1. खाद्य अपव्यय (Food Waste) को रोकना

भारत में हर साल लाखों टन भोजन बर्बाद होता है। यदि इस भोजन को बचाकर गरीबों तक पहुँचाया जाए, तो भुखमरी को काफी हद तक रोका जा सकता है।

2. कृषि सुधार

  • छोटे किसानों को आर्थिक सहायता और नई तकनीकों की जानकारी देकर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
  • जल प्रबंधन और सिंचाई प्रणाली में सुधार करके सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

3. महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान

गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

4. रोजगार के अवसर बढ़ाना

अगर लोगों को नियमित रूप से रोजगार मिलेगा, तो उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और वे खुद अपना भोजन खरीदने में सक्षम होंगे।


निष्कर्ष

भुखमरी केवल भोजन की कमी का मामला नहीं है, बल्कि यह गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता से जुड़ा हुआ मुद्दा है। भारत सरकार ने इसे कम करने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, लेकिन अभी भी सुधार की आवश्यकता है। यदि सरकार, समाज और नागरिक मिलकर काम करें, तो भारत से भुखमरी को समाप्त किया जा सकता है।

👉 "भूख से कोई न मरे" यह सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक लक्ष्य बनना चाहिए।"