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दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मुक्केबाज़ी संघ (बीएफआई) की तदर्थ समिति पर रोक

दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा भारतीय मुक्केबाजी महासंघ को तदर्थ समिति के दायरे में लाने के निर्देश को ख...

दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा भारतीय मुक्केबाजी महासंघ को तदर्थ समिति के दायरे में लाने के निर्देश को खारिज कर दिया। आईओए ने पिछले महीने बीएफआई के दैनिक कामकाज की देखरेख के लिए मधुकांत पाठक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया था। इस समिति में राजेश भंडारी, डीपी भट्ट, शिव थापा और वीरेंद्र सिंह भी सदस्य थे। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने 24 फरवरी के अपने फैसले से प्रेरणा ली, जिसमें उसने बिहार ओलंपिक संघ के दैनिक कामकाज की देखरेख के लिए आईओए द्वारा गठित तदर्थ समिति को खारिज कर दिया था।

यही वह दिन था जब पीटी उषा के नेतृत्व में आईओए ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के लिए एक तदर्थ समिति का गठन किया था। तत्कालीन बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह ने तब आईओए को एक पत्र लिखा था, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले इस फैसले को 'गलत और मनमाना' बताया था। बीएफआई ने तर्क दिया कि एड-हॉक पैनल बनाने का फैसला बिना किसी परामर्श के लिया गया, जो भारतीय ओलंपिक संघ के संविधान के अनुच्छेद 21.5 का उल्लंघन है। बीएफआई को चलाने के लिए एड-हॉक समिति बनाने का कठोर कदम राष्ट्रीय खेल महासंघ के लिए नई कार्यकारी समिति के चुनाव में देरी के बाद उठाया गया। अजय सिंह के नेतृत्व वाली बीएफआई का कार्यकाल 2 फरवरी, 2025 को समाप्त हो गया।