हैदराबाद, अप्रैल 2025 – तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के समीप स्थित कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में हाल ही में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई...
हैदराबाद, अप्रैल 2025 – तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के समीप स्थित कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में हाल ही में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई ने न सिर्फ पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में कड़ी कार्रवाई की है और सरकार से जवाब मांगा है।
🌳 क्या है मामला?
हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित कांचा गाचीबोवली जंगल, जिसे शहर के ‘फेफड़े’ के रूप में जाना जाता है, में हाल ही में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। यह इलाका जैव विविधता से भरपूर माना जाता है और यहां पर सैकड़ों प्रजातियों के पेड़-पौधे और जानवर पाए जाते हैं।
स्थानीय लोगों और छात्रों ने जब इस पर आपत्ति जताई, तब यह मामला सुर्खियों में आया। ड्रोन और सैटेलाइट इमेज से यह पुष्टि हुई कि लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में हरियाली नष्ट की जा चुकी है।
🏛 सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को इस मामले का suomoto (स्वतः संज्ञान) लेते हुए राज्य सरकार को तुरंत वनों की कटाई रोकने का आदेश दिया। अदालत ने कहा:
“हम यह जानना चाहते हैं कि क्या जंगल की कटाई के लिए पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) किया गया था और क्या वन विभाग से उचित अनुमति ली गई थी।”
साथ ही तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को स्थल का दौरा कर 3 अप्रैल तक अंतरिम रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए।
👥 छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध
हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र और कई पर्यावरण संगठन इस कटाई के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन हुए, और कुछ स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें भी देखने को मिलीं। छात्रों का कहना है कि:
“यह केवल जंगल की कटाई नहीं है, यह हमारे भविष्य पर हमला है।”
📸 सोशल मीडिया और फर्जी तस्वीरें
जंगल की कटाई से जुड़ी कुछ तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें जानवरों को भागते हुए दिखाया गया था। हालांकि, बाद में तथ्य-जांच में पाया गया कि ये तस्वीरें AI जनित थीं और असली नहीं थीं। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई, लेकिन असली मुद्दा—वनों की अवैध कटाई—बरकरार रहा।
🗣️ राजनीतिक हलचल
इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्षी पार्टी BRS (भारत राष्ट्र समिति) ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने राहुल गांधी से भी इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की। BRS के नेताओं ने कहा:
“राहुल गांधी पर्यावरण को लेकर बड़े-बड़े भाषण देते हैं, लेकिन जब उनके शासन में पेड़ काटे जा रहे हैं, तो वे चुप हैं।”
📅 आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित की है और राज्य के मुख्य सचिव से पूछा है कि:
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क्या पर्यावरणीय मंजूरी ली गई थी?
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क्या कटाई के पीछे कोई परियोजना है?
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क्या जनता से राय ली गई थी?
🔍 निष्कर्ष
तेलंगाना का कांचा गाचीबोवली जंगल केवल एक हरित क्षेत्र नहीं, बल्कि एक पारिस्थितिक संतुलन का प्रतीक है। इस पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरा बन सकती है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उम्मीद है कि मामले की पारदर्शी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।